पानी की किल्लत, तो अब गांव वालों के लिए चंबल बनी सहारा

पानी की किल्लत, तो अब गांव वालों के लिए चंबल बनी सहारा

 - पेयजल के लिए हर रोज दांव पर जिंदगी

- नदी के मगरमच्छों का खतरा फिर भी पानी लाने को मजबूर

भिण्ड। इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी के बीच मध्यप्रदेश के कई जिलों में पानी की किल्लत होनी शुरु हो गई है। ऐसे में जहां कुछ जगहों पर लोग गंदा पानी पीने को ही मजबूर बने हुए हैं। तो वहीं भिंड के अटेर विकास खण्ड की एक ग्राम पंचायत के गांव के लोगों को प्रति दिन पानी के लिए अपने जीवन को दांव में लगाना पड़ रहा है।

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दरअसल आज हम बात कर रहे हैं अटेर विकास खण्ड के अंतिम छोर पर बसे ग्राम पंचायत मघारा के ग्राम दिन्नपुरा के लोग पानी के लिए हर रोज अपनी जान दांव पर लगाने के लिए मजबूर हैं। दरअसल करीब 1100 की आबादी वाले इस छोटे से गांव में महज दो हैंडपंप हैं उनमें बेहद खारा पानी निकल रहा है।

मीठे पानी के लिए लोगों को न सिर्फ आधा किमी दूरी का सफर तय करना पड़ रहा है बल्कि मगरमच्छ व घडिय़ालों से भरी चंबल नदी से पानी लेने के लिए जान भी दांव पर लगानी पड़ रही है। गांव में पेयजल सुविधा के नाम पर महज दो हैंडपंप शासन स्तर पर लगवाए गए थे जिनमें शुरू से ही खारा पानी निकल रहा है। लिहाजा ग्रामीणों को मीठे पानी के लिए रोज सुबह उठकर करीब तीन घंटे पानी के परिवहन में खपाने पड़ रहे हैं।

इस दौरान उन्हें मगरमच्छों के खतरे का सामना भी करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि चंबल नदी में जहां घडिय़ाल संरक्षित हैं वहीं बड़ी संख्या में मगरमच्छ भी विचरण करते देखे जाते हैं। पिछले एक दशक में मगरमच्छ के हमलों में तीन दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

मघारा ग्राम पंचायत के गांव दिन्नपुरा की भांति अटेर क्षेत्र के ग्राम रमा, कोषढ़, बढ़पुरा, खैराहट, हिम्मतपुरा, कछपुरा, नावली वृंदावन, खिपोना, ज्ञानपुरा, बरही, सांकरी, रानीपुरा एवं चिलोंगा में भी लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि उपरोक्त गांव के लोग चंबल नदी से पानी का परिवहन करने के लिए मजबूर नहीं है। दरअसल गांव में लगे हैंडपंप पेयजल आपूर्ति का सहारा बने हुए हैं। बावजूद इसके लोगों को हैंडपंपों पर कतारबद्ध होना पड़ रहा है। गांवों में 40 से 45 फीसद हैंडपंप खराब हालत में हैं। जो चालू हालत में हैं उन पर पानी भरने के लिए भीड़ लग रही है।

हैंडपंप से खारा पानी असतस है जिसके चलते चंबल नदी से मीठा पानी लाना पड़ रहा है। कितना भी गहरा बोर करो खारा पानी ही निकल रहा है। नदी से पानी लाने में मगरमच्छों का खतरा तो है। वरिष्ठ अधिकारियों को समस्या से अवगत करा रहे हैं।
- राजीव यादव, सचिव ग्राम पंचायत मघरा अटेर

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रिश्ते होने में पेयजल संकट बन रहा बड़ा अड़ंगा
दिन्नपुरा के लोगों की मानें तो उनके बच्चों के सगाई संबंध होने में विकराल पेयजल संकट अडंग़ा बन रहा है। खास तौर से बेटों के लिए मुसीबत उत्पन्न हो रही है। समाज का कोई भी व्यक्ति अपनी बेटी को पेयजल संकट से ओतप्रोत इस गांव में अपनी बेटी नहीं ब्याहना चाहता।

ऐसे में गांव के युवकों के रिश्ते होने में भी मुश्किलें आ रही हैं। ज्यादातर ग्रामीण समस्या के चलते गांव से पलायन करने का मन बना रहे हैं। हालांकि 30 फीसद से ज्यादा परिवार पिछले एक दशक में दूसरे शहर तथा कस्बों के लिए पलायन कर चुके हैं।

चंबल नदी किनारे के उन गांवों को चिन्हित कराया जाएगा जहां पानी की समस्या है। स्थाई पेयजल सुविधा होने तक उनके लिए पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था कराएंगे।
- डॉ. सतीश कुमार एस, कलेक्टर भिण्ड

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